राजनीति की दलदल
गिरोह सरीखे हैं वंशवादी दल, फिर भी नहीं है हलचल
काश्मीर से कन्याकुमारी तक,भरी हुई है दल-दल
वंशवादी दलों में न लोकतंत्र है,न लोकतंत्र बचाने का मंत्र है
हर ऐसे दल में पारिवारिक मुखिया, सर्वोच्च लोकतंत्र है
वंशवादी पार्टीयां खस्ताहाल प्रायवेट लिमिटेड की तरह चल रहीं हैं
वंशवादी पृष्ठभूमि में, लोकतंत्र की धज्जियां उड़ रहीं हैं
लोकतंत्र और वंशवाद सर्वेथा विपरीत विचार है
स्वतंत्र भारत में ये, बड़ा विरोधाभास है
कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस, नेहरू गांधी अब्दुल्ला परिवार पीढ़ियों से चल रहा है
कुनवापरस्ती के कीर्तिमान रच रहा है
राष्ट्रीय जनता दल, समाज वादी पार्टी,द़विड मुनेत्र कड़गम
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिव सेना
अकाली दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाइएसआर कांग्रेस
लोक जनशक्ति पार्टी, एआईएमआईएम, सबमें वंशवाद है
जो दल बचे हैं, वो अपवाद है
तृणमूल और बासपा में भी यही हाल है
देश में लोकतंत्र का क्या होगा, यही सबाल है?
भारतीय लोकतंत्र को, वंशवादी जबड़े से निकालना होगा
तभी राजनीति और लोकतंत्र का उद्घार होगा।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी