राजनीति और रिश्ते
राजनीति में कोई किसी का नहीं,
इसमें अपना साया भी अपना नही ।
स्वार्थ के रास्ते में जो कोई आए,
राह का रोड़ा वो लगे अपना नहीं।
राह के रोड़े को हटाना है कैसे भी,
कभी सोचेंगे वो अपना पराया नहीं।
किस तरह खून पानी में बदलता है,
सत्ता के आगे खून की कीमत नहीं।
पिता और पुत्र रहें एक दूजे के शत्रु,
बेटी और मां एक आंख भाती नहीं ।
पत्नी करवा सकती है पति का कत्ल,
पति भी पत्नी को बख्शता नहीं।
यह वो जगह जहां कुर्सी ही प्रधान है ,
यहां मान मर्यादा हेतु कोई जगह नहीं।
छल कपट ,दांव पेंच,कूटनीति ,षड्यंत्र ,
सब है यहां ,शकुनी अभी मरा नहीं।
शिक्षित या अशिक्षित जैसे भी हों नेता,
कुटिलता और व्यभिचार में कम नहीं।
राजनीति में पग धरने से पूर्व सोच लो,
परिवार/मानवीय मूल्यों हेतु स्थान नहीं।
परिवार वाद बहुत सुनने को मिलता है,
बस कहने भर को परंतु परिवार नही ।
मां बाप,भाई बहन,पिता पुत्र आदि सब,
बेमानी है सब इसमें कुछ सच्चाई नहीं ।
कोई कैसे अछूता रहेगा इस कीचड़ से ,
लाख प्रयत्न करे छींटों से बचेगा नहीं।
इसीलिए ऐसे पाप व् अधर्म लोक को ,
दूर से सलाम,छाया भी इसकी भली नही ।