Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2022 · 2 min read

राजनीति और परिवारवाद

वैसे तो परिवारवाद प्रत्येक व्यक्ति के डीएनए में समाया हुआ है लेकिन हमें इसका उपयोग अधिकतर राजनीति में ही देखने को मिलता है । प्रत्येक विपक्षी पार्टियां एक दूसरे पर परिवारवाद का आरोप लगाते नहीं थकते जबकि हम सब वाकिफ है कोई भी पार्टी इससे अछूता नहीं है । पार्टी ही क्यों कोई आदमी इससे अछूता नहीं है । कोई नौकरी हो या पेशा सब पिता अपने पुत्र को उसका अधिकारी मानता है – एक शिक्षक चाहता है कि उसका पुत्र कम से कम शिक्षक बन जाए उसी तरह एक डॉक्टर चाहता है कि उसकी आने वाली पीढ़ी भी डॉक्टर ही बने । वकील , न्यायाधीश , नायक हो या नायिका या हो कोई खिलाड़ी सबकी मंशा एक सी है तो भला राजनैतिक दल क्यों पीछा रहे ? अब बात आती है कि राजनीति में ही इस बात को क्यों ढोया जाता है कि फलां अपने पिता के कारण विधायक , सांसद , मंत्री या मुख्यमंत्री बना । जबकि हम सभी जानते है कि भारत दुनियां का सबसे मजबूत और बड़ा लोकतांत्रिक देश है । यहां राजनीति में कड़ी प्रतिस्पर्धाएं है । एक नेता का पुत्र होने और एक नेता होने में बहुत अंतर होता है । किसी का पुत्र होना ही किसी भी क्षेत्र में सफलता का एक मात्र कारण नहीं होता । हां यदि कोई भी काम यदि विरासत में मिला हो तो उस कार्य को सफल होने मददगार जरूर साबित होता है । हो भी क्यों न एक पीढ़ी ने तो उस उसके लिए संघर्ष किया ही है उसका लाभ भी तो उसे ही मिलेगा । हालिया कुछ राजनीतिक दलों के बयानों और उसके अंदर के परिवारवाद को देखें तो हर तरफ आपको इसका ढेरों उदाहरण मिल जायेंगे कमोबेश हर पार्टियां राजनैतिक विरासत वाले पीढ़ी को ही आगे बढ़ाने में विश्वास रखती है । हो भी क्यों न जिताऊ कैंडिडेट भी तो वही है । अब बात आती है कि जिसका पृष्ठभूमि राजनैतिक न हो उसके लिए क्या राजनीति के रास्ते बंद है ? तो मैं समझता हूं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है । वर्तमान की बात करें तो नरेंद्र मोदी , लालू यादव , रामविलास पासवान हो या हालिया में अरविंद केजरीवाल हो इत्यादि सबने साबित किया है कि विरासत कोई मायने नहीं रखती । दूसरी बात भारत जैसे देश में बिना विरासत वाली पृष्ठभूमि की राजनीति की शुरुआत करने के लिए स्थानीय निकाय के चुनाव आपके लिए बेहतर विकल्प है ।
निष्कर्ष : मेरे दृष्टिकोण से राजनीत में परिवारवाद महज एक आरोप है जिसका फायदा हर राजनैतिक दल एकदुसरे पर आरोप लगाने के लिए करते है ।
आपको यदि हमारा लेख पसंद आया हो तो लाईक और फॉलो जरूर करें । धन्यवाद 👏
विमल

Language: Hindi
1 Like · 211 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आपसी समझ
आपसी समझ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वो मुझे
वो मुझे "चिराग़" की ख़ैरात" दे रहा है
Dr Tabassum Jahan
भजन- कावड़ लेने आया
भजन- कावड़ लेने आया
अरविंद भारद्वाज
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
Ajit Kumar "Karn"
"कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा- मीन-मेख
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ले कर मुझे
ले कर मुझे
हिमांशु Kulshrestha
संवेदना - अपनी ऑंखों से देखा है
संवेदना - अपनी ऑंखों से देखा है
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
मनुख
मनुख
श्रीहर्ष आचार्य
मे तुम्हे इज्जत,मान सम्मान,प्यार दे सकता हु
मे तुम्हे इज्जत,मान सम्मान,प्यार दे सकता हु
Ranjeet kumar patre
प्रेरणा और पराक्रम
प्रेरणा और पराक्रम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
Rj Anand Prajapati
जो समझ में आ सके ना, वो फसाना ए जहाँ हूँ
जो समझ में आ सके ना, वो फसाना ए जहाँ हूँ
Shweta Soni
!! रे, मन !!
!! रे, मन !!
Chunnu Lal Gupta
*भगवान गणेश जी के जन्म की कथा*
*भगवान गणेश जी के जन्म की कथा*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दोस्ती के नाम.....
दोस्ती के नाम.....
Naushaba Suriya
*कुछ कहा न जाए*
*कुछ कहा न जाए*
Shashi kala vyas
वेद पुराण और ग्रंथ हमारे संस्कृत में है हर कोई पढ़ा नही पाएं
वेद पुराण और ग्रंथ हमारे संस्कृत में है हर कोई पढ़ा नही पाएं
पूर्वार्थ
3101.*पूर्णिका*
3101.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वृक्षों के उपकार....
वृक्षों के उपकार....
डॉ.सीमा अग्रवाल
ग़ज़ल (रखो हौंसला फ़िर न डर है यहाँ)
ग़ज़ल (रखो हौंसला फ़िर न डर है यहाँ)
डॉक्टर रागिनी
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
Shubham Pandey (S P)
सहचार्य संभूत रस = किसी के साथ रहते रहते आपको उनसे प्रेम हो
सहचार्य संभूत रस = किसी के साथ रहते रहते आपको उनसे प्रेम हो
राज वीर शर्मा
अपनेपन की आड़ में,
अपनेपन की आड़ में,
sushil sarna
क्या खूब
क्या खूब
Dr fauzia Naseem shad
#बहुत_जल्द
#बहुत_जल्द
*प्रणय प्रभात*
*धोखा नहीं दिया है (गीत)*
*धोखा नहीं दिया है (गीत)*
Ravi Prakash
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
VEDANTA PATEL
Loading...