राजनीतिक रोटी खाते है……
इनकी बोली इनका काम…
कभी न करे सही से काम
ये हमको उलझाते है….
राजनीतिक रोटी खाते है
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई…
ये आपस में लड़वाते है
सबको ऊलू बनाके ये….
राजनीतिक रोटी खाते है
सबक लो इन दंगों से….
अब भी तुम एहसास करो
मत आओ इनके झांसे में
वरना ये आपस में लड़वाएंगे….
मन में तुम भी ठान लो अपने…
हम न अपने हक़ की रोटी
ऐसे इनको खाने देंगे
हम इनके सडयंत्र में अब न आयेंगे
ये अपने मशरफ के खातिर…
इसी तरह आपस में लडवाएंगे….
राजनीत की रोटी को…
इनको सही से खिलाना है
इनकी कथनी करनी में…
हमको अंतर समझाना है
वरना ये लोकतंत्र की हत्या कर…
जनता को सूली पे चड़ाएंगे।
लेखक – कुंवर नीतीश सिंह