राजनगर
देख-राज रूप लोचन ललचाऐ
राजसिंह की नगरी जन पहचाने
है यह नगर जैसा नागर मंदिर—-1
संगमरमर की नीवों वाला राजनगर जिसकी पहरेदारी करता आडावल
केसरिया करता यहां जन मन मानव
है यह नगर जैसा नागर मंदिर ——-2
उच्च-शिखर से खेलती तीव्र ढाल से
गोमती की कल-कलरव ध्वनि ताल से
लहर लहराती पवन नौ-चोकी पाल से
हिचखोले खाता अम्बा-भवन तान से
है यह नगर जैसा नागर मंदिर ——3
देख द्वारका पलकें आँखों पर झुकती
कलरव की गूज़े अधरों पर रूकती
है यह नगर जैसा नागर मंदिर —4
तट-तीर बंशी बजती लीलाधर की
सजल लहरे गान सुनाती राधिका -सी
है यह नगर जैसा नागर मंदिर —– -5
मेव-मार की संगमस्थलीआँखे टमकाऐ
देखने जिसे जन अपना सिर उचकाऐ
है यह नगर जैसा नागर मंदिर ——6
जिसकी खाने उगले सोना-हीरा-पारा
इसकी रूहानियत से रोशन जग-सारा
है यह मेवाड फरगना राजसिंह का राज-नगर
इसकी आँन- बाँन का दूनियाँ में है
जय-कारा !!