राजघाट से बापू बोले, बोल रहे बलिदानी
राजघाट से बापू बोले, बोल रहे बलिदानी
क्या यही मूल्य है लोकतंत्र के, हमको है हैरानी
जिस आजादी के लिए लड़े, अपने प्राण गवाएं
क्या उस अमूल्य आजादी के, मूल्य जान न पाए?
अपमान किया तिरंगे का, उसकी शक्ति समझ न पाए
तार-तार होती मर्यादा, कौन तुम्हें समझाए?
कहते-कहते आज शहीदों के आंसू भर आए!!!
लोकसभा विधानसभाओं में, नित नूतन हंगामा है
धरना और प्रदर्शन में, रोज नया एक ड्रामा है
ताक पर रखकर संविधान, सड़कों पर क्यों अराजकता है ?
क्या भारत में लोकतंत्र की, नहीं रही आवश्यकता है?
स्तरहीन राजनीति, इस देश को कहां ले जाएगी?
बेलगाम नेताओं की जुबान, क्या नई क्रांति लाएगी?
क्या लोकतंत्र की खूबसूरती, नेताओं की समझ में आएगी ?
क्या स्वार्थी नेताओं को जनता, अपनी जगह दिखाएगी ?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी