राख का ढेर।
यूं न देखो किसी में,
तुम इतना ज्यादा ऐब।
ये ज़िन्दगी क्या है,
बस एक राख का ढेर।।
ये जहां है बस एक जगह,
तेरे जीने के लिए।
दिल न लगा तू यहां पर,
आया है बस मरने के लिए।।
चार दिन की जिंदगी है,
सुन तेरी ऐ इंसान।
शायद तू भूल गया है,
तुझे जाना है शमशान।।
फेहरिस्त न कर लंबी,
तू गुनाहों की अपनी।
गफलत में तूने जी जिंदगी,
तौबा कर अब जी मर्जी रबकी।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ