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11 Apr 2024 · 1 min read

राख का ढेर।

यूं न देखो किसी में,
तुम इतना ज्यादा ऐब।
ये ज़िन्दगी क्या है,
बस एक राख का ढेर।।

ये जहां है बस एक जगह,
तेरे जीने के लिए।
दिल न लगा तू यहां पर,
आया है बस मरने के लिए।।

चार दिन की जिंदगी है,
सुन तेरी ऐ इंसान।
शायद तू भूल गया है,
तुझे जाना है शमशान।।

फेहरिस्त न कर लंबी,
तू गुनाहों की अपनी।
गफलत में तूने जी जिंदगी,
तौबा कर अब जी मर्जी रबकी।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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