राखी
नहीं महज राखी , दो धागों का
त्योहार है ।
यह तो भैया बहिना के अरमानों
का संसार है ।।
धन दौलत से कभी न मोल
सकोगे ।
बहन के मन का प्रेम न तौल
सकोगे ।।
भैया के लिए सिद्धि का
अवतार है ।
यह तो भैया बहिना के अरमानों
का संसार है ।।
बहन की आंखों में आँसू
न लाना ।
कभी न उसको अरे! भूल
मत जाना ।।
उसके त्याग के आगे सब
बेकार है ।
यह तो भैया बहिना के अरमानों
का संसार है ।।
जिस भाई के कारण बहिना
रोती है ।
उसकी किस्मत समृद्धि को
खोती है ।।
बहना की आंखों में बचपन
का प्यार है ।।
यह तो भैया बहिना के अरमानों
का संसार है ।।
– सतीश शर्मा ।