“राखी के धागे”
सारे जग में सबसे प्यारा भाई बहन का प्यार है,
रेशम के धागे से बना अनुपम ये त्योहार है।
प्रीत से बना है यह धागा,
स्नेह भरा बहन का उपहार है।
सारे जग में सबसे सच्चा ,
भाई बहन का प्यार है।
सावन की बारिश की बूंदे,
भाई के सिर पर अक्षत सा पड़ता।
रक्षाबन्धन का ये डोर,
पवित्र ,पावन है बेजोड़।
तोड़े से भी ना टूटे ये ऐसा मन का बन्धन है,
दुनिया जिसको कहती रक्षाबंधन है।
तुम भी भाई मान सदा रखना,
राखी के दिन जुदा मत रखना।
रुपया पैसा कुछ ना चाहूँ बोले मेरी ये राखी,
प्यार मिले हमको मायके से बस इतना है काफी।
तेरे लंबी उम्र की है ये राखी,
बहन के प्यार की पवित्र धुआँ है राखी।
बचपन की चित्रहार है राखी,
रिश्तों की मीठी एहसास है राखी।
मेरे दिल की जज़्बात है राखी,
भाई बहन की परस्पर विश्वास है राखी।
अटूट प्रेम का भाव बिखराती है राखी,
शब्दों की नही पवित्र उपवास है राखी।
हाथ पर तेरे जो सजे राखी का ताज,
मेरे लिए सबसे बड़ा दिन है आज।
आज बड़े प्रेम से चंदन चौक बनाई हूँ,
आज इसके ऊपर भैया तुझे बिठाई हूं।
मन ही मन कहती हूं लाज हमारी रखना ,
राखी मेरी बोली भैया रक्षा मेरी करना।
सभी मनोरथ संपूर्ण तुम्हारे हो,
राखी बस तू कर इतना काम।
सारे रिश्ते स्वार्थ के दहलीज़ तक है,
भाई बहन का निःस्वार्थ रिश्ता अजीज है।
हर घर मे प्यारा भाई हो,
द्रौपदी का रक्षक जैसे कृष्ण कन्हाई हो।
युग युग जियो मेरे भाई फलो फूलो तुम जीवन मे,
खुशियों से भरपुर रहो, सदा घर के आँगन में।
जब तक सूरज चाँद रहे,गंगा जमुना में बहे पानी,
तब तक रक्षा रहे, बहन कामना करे तुम्हारी ।
इस रिश्ते का कोई नही है मोल,
राखी के धागे हैं बड़े अनमोल।।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️