राखी के दोहे……..
रक्षाबंधन ……
भेज रही भैया तुम्हें, राखी के दो तार,
बन्द लिफ़ाफ़े में किया,दुनिया भर का प्यार ।
भेजी पाती नेह की, शब्द पुष्प के हार,
छोटी बहना कह रही ,कर लेना स्वीकार ।
रूठे भैया की करूं, मैं सौ सौ मनुहार
शायद रूठे इस लिये, आ न सकी इस बार ।
सावन बरसे आंख से, ब्याही कितनी दूर,
बाबुल भी मजबूर थे मैं भी हूं मजबूर ।
भैया खत भेजा नहीं, ना कोई संदेस,
लो सावन भी आ गया, बहन बसी परदेस ।
भाई, बाबुल रो रहे, बहना भी बेज़ार,
मम्मी की रुकती नहीं आंखों से जलधार ।
-आर० सी० शर्मा “आरसी”