राखी की यह डोर।
राखी की यह डोर।
बाँधा इसने भाई-बहन को
धरती प्यारी और गगन को,
चाँद – सितारे और बँधा है
ज्योति – कलश ले भोर।
राखी की यह डोर।
भाई-बहन का बंधन प्यारा
स्नेह-सुमंगल, सुखद सहारा,
केसर, चंदन, रोली दमके
कुमकुम है चहुँओर।
राखी की यह डोर।
बाँध रेशमी धागा कर में
हर्ष बहन ले आयी घर में ,
चहल-पहल, रौनक, रागों से
मन के आँगन शोर।
राखी की यह डोर।।
बहन सदा तू रहे सलामत
तुझे न शनि कर पाये आहत,
अश्रुनीर से कभी न भीगे
आँचल की सित कोर।
राखी की यह डोर।
अनिल मिश्र प्रहरी।