राखी का वचन (हरियाणवी)
भाई र इब कै पोंचीयाँ प रपिये धेलै ना बस एक वचन दिए,
माँ बाप की सेवा करैगा सारी उम्र उण प वार तन मन दिए।
दुखां तै पाले साँ आपाँ, इब सुख देण की आपणी बारी स,
मैं तो होई पराई सूं, इब तू उणनै ना कोय दुःख देखण दिए।
भाभी नै बी समझाइये सास ससुर धर्म के माँ बाप होवैं सं,
सारा कहण पुगाइये भाई, उनकी इज्जत नै ना घटण दिए।
भाई रे एक वचन और चाहिए मन्नै इबकै इन पौंचियाँ प,
जिस्सी मैं तेरी बाहण सूं दुसरियाँ नै बी समझ बहन लिए।
गलत नजर तै कदे ना लखाइये भाई सोचिये सगी बाहण सं,
इज्जत प आज्या जै कोय बात रे ना पां पाछै नै हटन दिए।
जान दे दिए किसी बाहण की इज्जत बचातां हाणी बेशक,
पर आपणै मन म्ह ला कै पाप, ना बट्टा इज्जत कै लगन दिए।
हाथ जोड़ कै ये हे दो वचन माँगू भाई रे इबकै पौंचियाँ प मैं,
निभा कै इन वचनाँ नै रे सुलक्षणा नै ख़ुशी म्ह फूलन दिए।
©® #डॉ_सुलक्षणा_अहलावत