राखी का त्योहार
******** राखी का त्योहार ********
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राखी का यह पावन त्योहार आया है,
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
रेशम की डोर से निभता है ये रिश्ता,
प्रेम रंग सावन की बारिश सा बरसता,
मधुर गीत भरा खास उपहार लाया है।
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
कभी प्यार तो कभी तकरार है दिखती,
जुदाई में आसुंओं की झड़ी लगती,
प्यासे नैनों में भर दीदार लाया हैं।
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
बहनें भाई को कुमकुम टीका लगाती,
प्यारे हाथों से खूब मिठाई खिलाती,
प्रीत से हरी भरी सी बहार लाया है।
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
अक्षत चंदन धूप से थाली है सजाई,
रेशम डोर से भैया की बांधी कलाई,
बंधु रूप में माँ बाप का दुलार लाया है।
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
जगत में होता सबसे प्यारा है नाता,
बहन का होता सबसे न्यारा भ्राता,
कच्चे धागे में बांध कर प्यार लाया है।
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
जिनकी आज मनसीरत बहनें ना आई,
रह ही जाएंगी उनकी सूनी कलाई,
साल भर का घर में इंतजार लाया हैं।
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
राखी का यह पावन त्योहार आया है।
बहन भाई की खुशियाँ हजार लाया है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)