** रह रह के आती है उनकी याद **
इसे ग़मे उल्फ़त कहूँ या
जिंदगी का अफ़साना
रह रह के आती है उनकी
याद कसम से जाना
कभी हकीकत भी लगती थी
मेरी उनको अफ़साना
खैर कोई बात नही
इश्क अगर करना
जानता ऊपरवाला
तो मेरी गुजारिश उससे है
आ के ज़मीन पर
उनको समझा जाये
यूँ मुहब्बत का मज़ाक़
नहीं बनाया करते ।।
? मधुप बैरागी