रहे न अगर आस तो….
रहे न अगर आस तो….
क्या क्षणिक इन आँधियों से,जिंदगी डर जाएगी ?
रहे न अगर आस तो हाँ, प्यास ही मर जाएगी ।
तू बस अपना काम कर,
फल चला खुद आएगा।
तीरगी को चीर, वहीं,
रौशनी रख जाएगा।
मन में शीतल शुद्ध हवा, ताजगी भर जाएगी।
रहे न अगर आस तो हाँ…..
वक्त ठहर गया तो क्या,
समय न अपना तू गँवा।
हौसलों में जान रहे,
पल में होगा दुख हवा।
झोंका सुख का आएगा, किस्मत सँवर जाएगी।
रहे न अगर आस तो हाँ…..
पहुँच न ले गंतव्य तक,
न तब तलक तू साँस ले।
मंजिल निकट आएगी,
मिट जाएँगे फासले।
छूकर मन की भावना, मौत भी तर जाएगी।
रहे न अगर आस तो हाँ……
जिंदगी का सुर्ख सफ़ा,
पल-पल नजरों में रहे।
हार-जीत का फलसफ़ा,
नित-नित साँसों में बहे।
ढील जरा भी दी अगर, चेतना मर जाएगी।
रहे न अगर आस तो हाँ, प्यास ही मर जाएगी।
© सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी,
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
“सृजन प्रवाह” से