रहम करो सरकार
भारत के हर कोने में
मचा है त्राहिमाम
अब तो रहम करो सरकार ।
गद्दी का लालच छोड़ो
दिल का दरवाजा खोलो
उन बहती नयनों को देखो
दया की है दरकार
अब कुछ सोचो मत सरकार ।
प्रजा आपकी बिलख रही है
जीने को बस तरस रही है
मतदाता की तड़प को देखो
कुछ दिन नहीं करो परचार
अब तो दया करो सरकार
खेल लिए आल्फाजों से
धन-दौलत से भी खेल लिए
प्रजा के प्राण निकलते देखो
बख्श दो जान मेरी सरकार
अब तो रहम करो सरकार ।
✍️ समीर कुमार “कन्हैया”