रहबर मार डालेगा
बह्र-हज़ज मुसम्मन सालिम
वज्न-1222 1222 1222 1222
ग़ज़ल
बड़ा ही कातिलाना हुस्ने दिलबर मार डालेगा।
गज़ब ढाता सितम मुझ पर सितमगर मार डालेगा।।
ज़रा सी बात पर तुमने कहा है बेवफ़ा मुझको।
उछाला लफ़्ज का तुमने वो पत्थर मार डालेगा।
सरे महफ़िल लगाते हो गले मेरे रकीबों को।
लगा है पीठ पर मेरीे ये खंज़र मार डालेगा।।
मेरी हर हाल में अब तो समझिये मौत पक्की है।
अगर बच पाया रहजन से तो रहबर मार डालेगा।।
बड़ा है ज़ोर तूफ़ां का समंदर में सफ़ीना है।
हिफाजत कर मेरे मौला बवंडर मार डालेगा।।
मेरी खानाबदोशी का अनीशअब ख़ुद ही वाइस हूं।
मैं ढूढ़ू लफ़्ज का गौहर ये गौहर मार डालेगा।।
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-अनीश शाह सांईंखेड़ा नरसिंहपुर (म.प्र.)
मो.8319681252
रकीब=प्रतिस्पर्धी।रहजन=लुटेरा।रहबर=हमराही।
सफ़ीना=नाव।