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29 Dec 2018 · 1 min read

रहता रहा है

अब किसका उसको इंतजार रहता रहा है
सामने बैठा मै वो कहीं ओर देखता रहा है

वो जानता है मै छुपा रहा गम अपने हूँ
वो फिर भी मिरे गम पर ही हंसता रहा है

नादानियां समझ उसे माफ किया है मगर
वो गलती पर गलती हर बार करता रहा है

उसने कभी भी की परवाह नही मेरी मगर
ये दिल दीदार के उसके मरता रहा है

हमसफर तो वो ही जो साथ चलता रहा है
कुछ वक्त तो साथ अनजान रहता रहा है

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