रस बरसा दो
।। रस बरसा दो ।।
वाहेगुरु मेरे आ जाओ।
गुरु की वाणी दोहराओ।
क्षत-विक्षत धर्म तड़प रहा
भाईचारे का शब्द सुनाओ।
मेरे राम को कोई बुला दो।
रामायण का मर्म समझा दो।
क्षत-विक्षत धर्म तड़प रहा
भाईचारे का भजन सुनाओ।
यीशू प्यारे आप आ जाओ।
बाइबल का रसपान कराओ।
क्षत-विक्षत धर्म तड़प रहा
भाईचारे का गीत सुनाओ।
खुदा खुद की राह दिखाओ।
पवित कुरान की आयत गाओ।
क्षत-विक्षत धर्म तड़प रहा
भाईचारे का पाठ सुनाओ।
जब पुकारा हमने इक साथ।
चले वे डाल हाथों में हाथ।
अद्भुत तेज पुंज है रोशन
लो आशीष झुका कर माथ।
।।मुक्ता शर्मा त्रिपाठी ।।