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2 Aug 2021 · 1 min read

रस्तोगी क़ी कुंडलियां

हड्डे जले ज्यू लकड़ी,केस जले ज्यू घास।
कंचन काया जल गयी, कोय न आया पास।
कोय न आया पास,कोई न है अब अपना।
यें शरीर नाशवान है, जीवन है एक सपना।
कह रस्तोगी कविराय, जिंदगी मे है गढ़े।
नेक काम कर ले बन्दे, जल जायेगे भी हड्डे।।

आर के रस्तोगी

3 Likes · 6 Comments · 389 Views
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