रस्तोगी क़ी कुंडलियां
हड्डे जले ज्यू लकड़ी,केस जले ज्यू घास।
कंचन काया जल गयी, कोय न आया पास।
कोय न आया पास,कोई न है अब अपना।
यें शरीर नाशवान है, जीवन है एक सपना।
कह रस्तोगी कविराय, जिंदगी मे है गढ़े।
नेक काम कर ले बन्दे, जल जायेगे भी हड्डे।।
आर के रस्तोगी