रश्क की इंतेहा ( बॉलीवुड के होनहार नवोदित कलाकार की व्यथा)
वो हमसे बे इंतेहा रश्क करते है ,
शायद इसीलिए नफरत करते हैं ।
हमारी कामयाबी उन्हें नहीं सुहाती ,
इसीलिए राहों में कांटे बिछाते हैं ।
उनकी जलन इस हद तक होती है ,
महफिलों में हमारा मजाक उड़ाते है।
हम उनसे किसी बात में कम तो नहीं ,
जाने क्यों वो हमें कमतर समझते हैं।
तालीम ,तहजीब ,हुनर औ खूबसूरती में,
हम उनसे कहीं बढ़कर मुकाम रखते है ।
शायद इसीलिए वो रश्क करते है हमसे ,
हमारा हक छीनने में गुरेज नहीं करते हैं।
और इस पर भी जी न भरे इनका तो ,
साजिशन हमारी हस्ती को मिटा देते हैं।
आखिर इतना रश्क, नफरत किसलिए ,
जहां में इंसा सदा के लिए क्या रहते हैं।
आप सिर्फ आज के शहंशाह है जनाब !
अपने मुस्तकबिल का अंजाम जानते हैं ?
हम सूरज है चिराग नहीं पल दो पल के ,
हमें मिटाकर भी आप मिटा नहीं सकते हैं।
हमें यकीन है अपने खुदा के इंसाफ पर ,
गैरों को जलाने वाले खुद ही जल जाते है।