“रवि”
“रवि”
रवि को बहुत पसंद है पान,
सामने ही थी पान की दुकान।
उसके पापा हैं,उसकी शान,
प्यारी मम्मी है, उसकी जान।
रोज करता है वो बहुत काम,
बड़ों को करता है सदा प्रणाम।
पर बेचारे का दुखता है कान,
रहता वो सदा, इससे परेशान।
प्रांजल
कटिहार
“रवि”
रवि को बहुत पसंद है पान,
सामने ही थी पान की दुकान।
उसके पापा हैं,उसकी शान,
प्यारी मम्मी है, उसकी जान।
रोज करता है वो बहुत काम,
बड़ों को करता है सदा प्रणाम।
पर बेचारे का दुखता है कान,
रहता वो सदा, इससे परेशान।
प्रांजल
कटिहार