रविश कुमार हूँ मैं
बिना चिल्लम-चिल्ली वाला समाचार हूं मैं
नमस्कार प्राइम टाइम पर रवीश कुमार हूं मैं,
अंधी – बहरी सियासत के कानों पर
लोकतंत्र की पुकार हूं मैं, रवीश कुमार हूँ मैं,
सुबह से शाम तक स्टूडियो में भौंकने वाले
एकरों के लिए रोजगार हूं मैं, रवीश कुमार हूं मैं,
कभी चिट्ठी छांटने वाला, कभी खबर लिखने वाला,
कभी प्राइमटाइम करने वाला,कामगार हूं मैं, रवीश कुमार हूं मैं,
सच को सच और झूठ को झूठ कहने वाला
अदना सा एक पत्रकार हूं मैं, रवीश कुमार हूं मैं,
आपसी सौहार्द की दीवार जर्जर ही सही
पंडित,मौलवी,कभी सरदार हूं मैं,रवीश कुमार हूं मैं,
कहीं फंदे पर झूलता किसान,कहीं ट्रेनों में धक्के खाता युवा,
कहीं शासन की लाठियां खाता बेरोजगार हूं मैं, रवीश कुमार हूं मैं,
जनतंत्र की जर्जर इमारत की आखिरी दीवार हूं मैं
पर्दे के पीछे की आवाज रवीश कुमार हूं मैं,
न चटपटी खबरें, न दुनिया की बहस, न शानदार ग्राफिक्स
ब्लैक स्क्रीन के साथ गुलजार हूं मैं, रवीश कुमार हूं मैं,
देश और लोकहित के लिए लड़ता हुआ एक सिपहसालार हूं मैं
कहीं अजीत कहीं पुण्य प्रसून कहीं अभिसार हूं मैं,रवीश कुमार हूं मैं,
न आर-पार, न हल्ला बोल, न पूछता है भारत
ज़ीरो TRP वाला एक पत्रकार हूं मैं, रवीश कुमार हूं मैं,
©Sandeep Albela