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1 Jun 2021 · 1 min read

रेशमी केश

जब जब मन्द बयारें चलती
रेशमी केश अपने लहराया करती हो
जब जब मेघ गगन में घिरते
इन्द्रधनुषी छटा दिखलाती हो

रूपसि तुम कोन हो ?
मायाजाल में मुझको उलझाती हो
अम्बर से ही अवनि तक लेकर
आँचल लहरा मन्द मुस्काराती हो

जब जब देखा है तुमको
गांव की पगडण्डी थिरक लुभाती हो
आमों की बौर पर लावण्य बिखेर
स्वर्गिक बाला सी तुम इठलाती हो

Language: Hindi
Tag: गीत
75 Likes · 2 Comments · 397 Views
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