रब बिकता हैं!
क्यूँ पुछते हो यहाँ कौन कैसे और कब बिकता है!
मत पुछिये यहाँ पर तो मतलब पर रब बिकता हैं!
इज्जत गैरत ईमान खुद्दारी मत पुछिये क्या क्या!
ये बड़ा बाज़ार हैं ज़नाब यहाँ पर सब बिकता हैं!
नया खुदा हैं अब तो अपने शहर का हर नुक्कड़!
एक बार जाकर देखिये वहाँ पर अदब बिकता हैं!
इतना आसान नहीं हैं कुछ भी बाज़ार में बिकना!
अगर मिलावट हो बेईमानी कि तो सब बिकता हैं!
हमारी नज़रों के कोने में वो सिमटा हुआ सा दर्द!
अगर वो कागज़ पर उतार दूँ तो गज़ब बिकता हैं!
✒Anoop S.