!! रब का बंदा-अजीत तलवार !!
ज़माना क्या कहता है
मुझ को इस बात की परवाह नहीं
मैं तो एक तूफ़ान हूँ
झूठ की बुनियाद पर
घर बनाने वालों से डरता नहीं…
लोगों ने ठोकर मार मार कर
चाहा की मिटटी में मिला दूं
अपना हौंसला इतना है कि
चट्टान की तरहं डट कर
मुकाबला करो और डरो नहीं…
अपने गिरेबान में नहीं झांकते लोग
और हाथ में पत्थर उठा मेरे
शीशे पर जा मारते लोग
वो जानते हूये भी अनजान हैं
कि जिनके घर खुद शीशे के होते हैं
वो औरों के शीशे पर पत्थर नहीं मारा करते..
अपनी अपनी धून में चले जाते हैं
गिरे हुए को जमीन से नहीं उठाते हैं
गिर कर जो संभल जाए दुनिया में
उस इंसान को.”अजीत तलवार””कहते हैं !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ