रबड़ की मोहर
रबड़ की मोहर
सरपंच का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। चिरप्रतिद्वंदी चौधरी निहाल सिंह व शिवपाल शर्मा ने अपने-अपने सीरी (खेतिहर मजदूरों) के परिजन चुनाव मैदान में उतारे।
कांटे की टक्कर थी। यह टक्कर अनुसूचित जातियों के प्रत्याशियों की नहीं बल्कि उनके आकाओं की थी। शराब, कबाब व शबाब सब कुछ बांटा गया।
हार-जीत भी अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों की नहीं बल्कि उनके आकाओं की हुई।
जीतने वाला प्रत्याशी रबड़ की मोहर से अधिक कुछ नहीं था।
-विनोद सिल्ला