रफ्तार
माना की रफ्तार जीवन
के लिए है जरूरी ।
पर रफ्तार में संयम होना
सबसे है जरूरी।
रफ्तार में संयम हो अगर,
सही दिशा पर ले जाता है।
देर भले थोड़ा हो जाए ,
पर मंजील तक पहुँचाता है।
रफ्तार में संयम न हो ,
तो दिशा भटक जाता है।
फिर कहा वह अपने
मंजील पर पहुँच पाता है।
कभी – कभी तो यह हमारा,
प्राण भी हर ले जाता है।
कई आँखो के तारों को,
यह निगल जाता है।
मैंने देखा है रफ्तार में
कई घर उजरते हुए ।
कई माँ के गोद को
सुना पड़ते हुए।
कई मांग के सिन्दुर को
मिटते हुए।
कई घरो के चिराग को
खोते हुए।
कितनों के सपनों को देखा है
मैंने चूर -चूर होते हुए।
इसलिए अगर जीवन को
तुम्हें बचाना है।
तो रफ्तार में संयम रखना
है बड़ा जरूरी।
चलो भले तुम तेज मगर
संयम रखकर चलना है जरूरी।
~ अनामिका