रदीफ़ -ओर है
छोटी बह्र की ग़ज़ल,
वज़्न-2122 212
रदीफ़ -ओर है
बस ग़मों का शोर है
ख़ौफ का सा दौर है
चीखती तन्हाइयाँ
क्यों? अमा घनघोर है
इश्क को भरमा रहा
फेसबुकिया दौर है
हीर रांँझा चैट पर
चाहतों का दौर है
धुंध में खोई हुई
खोजती नभ भोर है
नीलम शर्मा ✍️