रतन महान , एक श्रद्धांजलि
रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित करते कविता:
(हे महामानव तुम्हे प्रणाम)
रतन सा चमकता एक सितारा,
देश का गौरव, मान हमारा।
निज स्वप्नों को जो साकार किया,
परहित में जीवन अर्पण किया।
उद्योग जगत का ध्रुव तारा,
हर संकट में पाया सहारा।
सादगी में जिसने शिखर छुआ,
उनके जैसा न कोई हुआ।
हर कर्म में बस देश-हित रखा,
मानवता को सच्चा रूप दिखा।
मदद के हाथ सदा बढ़ाए,
कभी न थमे, कभी न घबराए।
टाटा का नाम जहाँ भी जाए,
वहाँ उम्मीद की किरण जगाए।
सपनों को उसने पंख दिए,
देश को नए आयाम दिए।
अब वह सितारा दूर चला,
आकाश में अमर होकर खिला।
पर उसकी रोशनी अमिट रहेगी,
हर दिल में सदा चमकती रहेगी।
रतन की आभा सदा बिखरे,
उनसे प्रेरणा हर दिल में उतरे।
तुमसे है भारत की पहचान,
श्रद्धांजलि तुम्हें, हे महान!
कलम घिसाई