रण
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
क्या कर्ण क्या अर्जुन सब रण में होते है
गुरू दॖोण उस दक्षिणा का दण्ड रण में पाते है
दॖूपद के पुत्र के हाथो अपना शीश कटाते है
दॖूपद के पुत्र के हाथो अपना शीश कटाते है
भरी सभा में चीर किसी स्त्री का खींचा जब जाता है
सच कहता हूँ उस सभा का नाश तभी हो जाता है
नीर भरे नयनो में विलाप जब होता है
श्रापित हो जाते है सब जीवित होते हुए मर जाते है
श्रापित हो जाते है सब जीवित होते हुए मर जाते है
धर्म क्या अधर्म क्या सब कलंकित होते है
पाप क्या पुण्य क्या सब अपना स्व खोते है
रोता है सकल जग जब रण होता है
भारत के भारत में ही महाभारत होता है
भारत के भारत में ही महाभारत होता है
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)