रचना की गुणवत्ता पर ही ध्यान दें !
रचना की गुणवत्ता पर ही ध्यान दें !
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जिस रचना का कोई सार नहीं ,
ना हो पाठकों का लगाव कोई ,
फ़ालतू का समय लगा कर के….
ना करें उसे यूॅं ही बर्बाद कोई ।।
बहुत बड़ी-बड़ी उम्मीदें पाले ,
झट से रचना तो खोल लेते हैं।
पर जैसा सोच रखा था उन्होंनेे ,
वैसा कुछ नहीं अर्जित करते हैं।।
और कभी-कभी अच्छी रचना को ,
वे बुरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं।
वैसे तो वे खुद के निर्णय के लिए….
सुधी पाठक बिल्कुल ही स्वतंत्र होते हैं।।
पाठकों को चुनौती कोई दे नहीं सकता ,
वे तो रचनाकार के लिए भगवान होते हैं।
पर पाठकों की उम्मीदों पे खड़े उतरने का ,
रचनाकार थोड़ा प्रयास क्यों नहीं करते हैं।।
आज की तिथि में मेरा यही मानना है कि ,
हर रचनाकार ही सुंदर व बेहतर लिखते हैं।
कभी किसी एक को फोकस करने पर ही ,
पाठकगण खाली हाथ ही लौट कर आते हैं।।
पाठकगण अपने ज्ञान की अभिवृद्धि हेतु ,
रचनाओं को अच्छी तरह से तो पढ़ लेते हैं।
यदि कोई रचना अपेक्षा के अनुरूप ना होती ,
तो वे अपना मंतव्य क्यों नहीं उसपे दे देते हैं।।
पाठकगण से नम्रतापूर्वक मेरी इक विनती है ,
कि वे बस, रचना की गुणवत्ता पर ही ध्यान दें।
वे कभी किसी रचनाकार के हाव-भाव ना देखें ,
वे बस, साहित्य की उच्च गरिमा हेतु योगदान दें।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 25 अक्टूबर, 2021.
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