रग रग में देशभक्ति
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रग रग में देशभक्ति
आई बात जबान पर तेरे, देश पर मर मिटने की
माटी मैने माथे पर मेरे, लगाई सोची कुछ करने की
कायर हु नजर में तेरे ,फायर करने को उतारू हूँ
गन नही हाथो में मेरे, माहिर लडने को उतारू
कफन सिर पर बांधकर, सफेदिया करने को तैयार हू
जतन देख हमारी जान पर ,चोडी छाती का प्यार हूँ.
देश प्रेम हावि है दिमागी क्रेक पर, घात करने को
चलु की गाडी, विश्वास नही ब्रेक पर
आत्मघाती वो दगा कर, चालाकी से खंजर पीठ पर धरा था। स्वाभीमानी की स्वामी भक्ति, किसी देवभक्ति का मंजर सीधा ना धरा था।
हौसले तेरे बुलन्द, चन चापलूसो की गद्दारी पर
फैसला लिया मैने बुलन्द ,सजा को रख उनकी मकारी पर
लहु हमारा गाढा है. आंसूओं मे पीर पर
गलती तुमने कर दी यारा, भूखे शेर की क्षीर पर
गुफा तुम्हे दिखी नही मकारी के संग से.
देशभाक्त बिकी नहीं: गद्दारी के मन से
घात. करने को है उतारू, भुखे शेर की दहाड़ सुन
चूहा है तु मेरे आगे, बिल पर मैने अंगारो की बहार की
दिमाग तेरा सुस्त हुआ ,चुस्त पन की तलाश में
मस्त रख दिमाग अस्त हुआ, मकारी की पनाश पन में
चकुव्यूह रचना सीखी, गुरु द्रोण के मानस से
अपने पन से टलना सीखा, मकारी के चानस से
दुम हिलाता फिरता है तु. पागल कुत्ते की भांति
संस्कृति संस्कारो से चलती है,. पतली पातल निकली तांती