रखो इंसानियत यही नेक कमाई है
जिंदगी झूठ है और मौत सच्चाई है
फिर भी जिंदगी से यूं प्रीत लगाई है
यह दौलत तुम्हारी साथ ना जाएगी
रखो इंसानियत यही नेक कमाई है
वक्त नहीं है जरा भी किसी के लिए
किसके लिए ये हाय तौबा मचाई है
लोग जा रहे उसको श्मसान लेकर
देख उसके साथ कौन सी कमाई है
मन को शांत कर चिंतन कर जरा सा
बता ये जिंदगी किसको रास आई है
वक्त दे अपनों को फर्ज अपने निभा
मुस्कुराके चल’विनोद’कैसी रुसवाई है