रखते हैं प्रभु ही सदा,जग में सबका ध्यान।
रखते हैं प्रभु ही सदा,जग में सबका ध्यान।
कभी -कभी होता नहीं ,लोगों को अनुमान।
लोगों को अनुमान,तभी हो जब दें अर्जी।
और करे प्रभु पूर्ण, भक्त साधक की मर्जी।
अपने श्रम अनुसार,सभी फल जग में चखते।
पर होते वे सफल,दृष्टि प्रभु जिन पर रखते।।1
जलती बाती दीप की,करती तम का नाश।
सदा त्याग की सीख दे ,उर में भरे प्रकाश।
उर में भरे प्रकाश,सत्य तब सम्मुख आए।
करना सबका लाभ,ज्ञान का पाठ पढ़ाए।
जीवन है वह धन्य,मनुजता जिसमें पलती।
काया है बेकार,एक दिन सबकी जलती।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय