रक्षाबंधन पर दोहे
राखी का त्योहार है,भ्रातृ-बहिन का प्यार।
कच्चा धागा तो बने,रक्षा का हथियार।।
बहनें सबकी एक हैं,करो सभी का मान।
मिटा हृदय से भेद तो,ये जग स्वर्ग समान।
क्रोध कभी मत कीजिए,ये है शत्रु समान।
अन्दर से है फूँकता,करता नहीं निदान।।
बहनें आएँ दूर से,ले राखी उपहार।
रक्षा-बंधन पर्व है,रक्षा का विस्तार।।
रक्षा सबकी कीजिए,निर्बल अपना मान।
बहार आए झूम के,खिले सदा उद्यान।।
–आर.एस.प्रीतम
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