रक्षाबंधन का त्योहार
**रक्षाबंधन का त्योहार***
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बहना भाई का हैं त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
संग में खेले संग मे खाये
प्रेम प्यार भरे दिन थे बिताये
कभी रूठें तो कभी मन जायें
सावन का सुन्दर है त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
मुरझाए हुए चेहरें खिल जायें
बहन भाई घर पर चली आए
भाई बहना को गले लगाये
प्रीत बढ़ाने का है त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
भगिनी बिना है भ्राता अधूरा
सुर लय बिना राग ना हो पूरा
अनुरक्ति का रहे रंग अधूरा
मौज बहारों का है त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
मात्र धागे का नहीं ये बन्धन
दिलोदिमाग से करिए मंथन
उर का उर से जैसे गठबंधन
वचन निभाने का है त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
श्रावण मास पूर्णिमा में आए
सावनी ,सलूनों भी कहलाए
भ्रातृ स्वसा की प्रीति बढ़ाए
पावन पवित्रता का त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
रोली कुमकुम से थाल सजाए
माथे पर सुन्दर तिलक लगाए
डोरी से कलाई बंध जाए
खुशियाँ अर्जन का है त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
राखी का है इतिहास पुराना
कर्णावती हुमायूँ भाई माना
रेशम डोर से बन्धन में बांधा
सुरक्षा बन्धन का है त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
बहना भाई का है त्योहार
रक्षाबन्धन का है त्योहार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)