रक्षाबंधन – एक अटूट बंधन
मैं हूँ बहुत ही भाग्यशाली,
मैं हूँ क्यूंकि एक हिन्दुस्तानी।
जीवन है भरा हर्षोल्लास से,
मनाते क्यूंकि हर त्योहार उल्लास से।
भूल सब जीवन की भाग दौड़,
छोड़ चिंता और आगे बढ़ने की होड़।
रिश्तों की करते हैं पहचान,
भाई – बहन हैं एक वरदान।
बहुत ही प्यारा और पवित्र है ये रिश्ता,
रक्षक भाई होता बहन के लिए फरिश्ता।
रक्षाबंधन करता है मजबूत ये कड़ी,
बहन बांधे भाई के हाथ में धागे की लड़ी।
बहन कर आरती करती न्यौछावर प्यार,
भाई बन रक्षक देता बहन को दुलार।
माँ बनाती घर में विभिन्न पकवान,
पूर्णिमा का ये दिन आता हर सावन।
कृष्ण-द्रोपदी, राजा हुमायूं-रानी करनावती,
रक्षाबंधन परम्परा की अनोखी कथावली।
बदलते परिवेश में, त्योहार के मायने बदले,
रहा वहीं प्यार और ना बदले रिश्ते।
प्यार-प्रेम का सामंजस्य, है ये प्रिय त्योहार।
खिलता रहे यूँही भाई-बहन के बीच प्यार।
हर हिन्दुस्तानी है बहुत ही भाग्यशाली, क्यूंकि जीवन में है त्यौहारों की खुशहाली।