रक्षक या भक्षक
रक्षक या भक्षक
***************
ट्रीन… ट्रीन….ट्रीन…. फोन की बजती घंटी को सुनकर नेता रसिकलाल जी फोन उठाते है ….हैलो कौन….उधर से उनके प्रतिउतर में…सर मैं रमेश …नमस्कार सर!
नमस्कार को मारो गोली और यह बताओ जो काम मैने सौपा था उसका क्या हुआ..नेता जी फुसफुसाते हुए बोले।
हो गया माईबाप हो गया….रमेश को आप किसी काम के लिए बोलें और वह काम ना हो ऐसा कभी हुआ है….आप तो बस मलाई खाईये ……।टेंशन लेने का काम मेरे जिम्मे छोड़ दीजिए। अब आप निश्चिंत रहिये आपको पार्टी सिंबल लेने से दुनिया की कोई भी प्रत्यक्ष या अपरोक्ष ताकत रोक नहीं सकती।
नेता जी बड़े ही जोश – खरोश से भाषण दे रहे थे…………..बड़े चिन्ता की बात है आज हमारे देश में बेटियों के साथ भेदभाव हो रहा है, भ्रूण हत्याऐं रुकने का नाम नहीं ले रहीं , आये दिन बेटियों के साथ बालात्कार की अति कुत्सित घटनाएं सुनने और देखने को मिलती रहती हैं ……..मन में बड़ा क्षोभ होता है …….ग्लानि होती है हमें । आज से हमने महिला सशक्तिकरण के लिए कमर कस लिया है ……आप सभी भाई बहनों से मैं करबद्ध प्रार्थना करता हूँ आप हमें अपना बहुमूल्य वोट देकर पार्लियामेंट भेजें हम वहाँ नारी उत्थान के लिए जमीन आसमान एक कर देंगे…. हमारे चुनाव जीतते ही गली- गली में सीसीटीवी कैमरे लग जायेंगे, सभी बेटी बहनों के शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। हम आप सभी से वादा करते हैं अपने कार्यकाल में नारी पर अत्याचार करने वाले हर शख्श का जीना दूभर कर देंगे।
सभा की सफलता से प्रफुल्लित रसिकलाल फूले नहीं समा रहे थे …………..उन्हें भीड़ और अपने बातों पर बजी तालियों की गड़गड़ाहट ने आगामी चुनाव में आनेवाले सार्थक परिणाम का शुभ संकेत दे दिया था। रसिकलाल जैसे ही घर पहुंचे उन्हें उनकी धर्मपत्नी से सुचना प्राप्त हुआ………….पार्टी से निरीक्षक मण्डल के कुछ लोग आज आने वाले हैं यह खोज खबर लेने की उन्हें इस बार सांसद का टिकट दिया जाय या नही……… जैसे ही निरीक्षण मण्डल के आने की सुचना प्राप्त हुई रसिकलाल को रमेश की याद आई …………उनहोने तुरन्त ही रमेश को फोन कर अपने घर बुलाया ………………..रमेश तो जैसे अपने बुलाये जाने की पतीक्ष ही कर रहा था…कुछ हीं क्षणोपरान्त रसिकलाल के संमुख खड़ा था….
हाँ सर बताये कैसे याद की आपने…………..रमेश रसिकलाल से मुखातिब हो पूछ रहा था।
रमेश. आज पार्टी आलाकमान द्वारा सिंबल वितरण हेतू गठित निरीक्षक मंडल के कुछ लोग हमारे यहाँ आ रहे है उन्हें खुश व संतुष्ट करने का काम जो मैने तुझे सौपा है देख लेना उसमें कोई कमी ना रह जाय वर्ना अच्छा खासा मौका हाथ से जाता रहेगा…………रसिकलाल बड़े ही गम्भीर लहजे में यह बातें रमेश से बोल रहे थे।
सर आप तनिक भी चिंता ना करें मैनें निरीक्षक मंडल को रिझाने का हर एक प्रबंध किया है, मैनें हर एक व्यवस्था का स्वयं ही संचालन किया है किसी भी तरह की छोटे से छोटे गलती की भी संभावना नहीं है आप तो वश जश्न की तैयारीयों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें……रमेश रसिकलाल को आस्वस्त करते हुए चिंतामुक्त रहने की सलाह दे रहा था…….।
शहर के बीचोबीच स्थित नारी सुधार गृह में आज जैसे भूचाल आ गया हो ………वहा शरण पाने वाली सभी औरते एवं नवयौवनायें आज सुधार गृह की अधिक्षिका सुपर्णा देवी के कहर से भयाक्रान्त नजर आ रही थीं ………..आज सुबह ही रसिकलाल का दाया हाथ कहे जाने वाला रमेश सुपर्णा देवी से मिलने आया था……….बंद कमरे में तकरीबन एक घंटे तक गुफ्तगू हुई, उसके जाते ही सुपर्णा देवी ने सुनामी का रूप अख्तियार कर लिया था , तीन लड़कियों रीना, सुनैना, सबीना के नाम का आदेश पारित हुआ जिन्हें साम को पांच सितारा होटल में रसिकलाल के आगन्तुकों के मेहमाननवाजी में उपस्थिति दर्ज करानी थी रीना और सबीना तो कुछ बोल नहीं पाईं किन्तु सुनैना ने जैसे ही जाने से इनकार किया सुपर्णा देवी की त्यौरियाँ चढ गईं वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे समूचे सुधार गृह में सुनामी का कहर टूट पड़ा हो एक दो लड़कियां तो बुरी तरह पीटी भी गईं।
आज के इस दौर में जहाँ हम नारी सशक्तिकरण, नारी उत्थान, बेटी बचाओं बेटी पढाओं, महिला आरक्षण जैसे विषयों पर हर एक राजनीतिक दल , प्रत्येक समाजिक संगठनों का मुख्य एजेंडा देखते व सुनते आ रहे हैं उस दौर में भी एक नारी द्वारा नारी का शोषण या शोषण में भागीदारीता समझ से विल्कुल परे है।
केन्द्रीय निरीक्षक मण्डल के सभी सदस्य रसिकलाल जी के मेहमाननवाजी से अभिभूत होकर उन्हें सांसद पद का टिकट देने की पैरवी केन्द्रीय आलाकमान तक प्रेषित कर वहाँ से रुक्सत हुए…।…….वहाँ आये सभी पैरवी कर्ता भला अभिभूत हों भी तो क्यों न हों रसिकलाल जी ने अपने नामानुसार निरीक्षक मण्डल को रिझाने में किसी भी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ा था……..वहाँ पांच सितारा में शराब, शबाब एवं कबाब के साथ – साथ थैली भर भर कर नोटों की नुमाइश जो हुई थी ………….दिल खोल कर नोट बाटे गये परिणामस्वरूप नंदनगर लोकसभा सीट से रसिकलाल जी को जनकल्याण पार्टी का सिंबल प्राप्त हो गया , चुनाव प्रचार से लेकर चुनाव के दिन तक चुनाव आयोग के निर्देशों की खुब धज्जियां उड़ाई गई…….खुब शराब व पैसे बाटे गये……जिनका सूरत देखना पसंद नहीं था उनके भी पैर पकड़े गये…………तरह – तरह के लोक लुभावने वादे भी किये गये………..जो इन बातों के कुचक्र में नहीं फसे उन्हें डराया धमकाया गया……..अर्थात साम, दाम, दण्ड, भेद इन चारों राजनीतिक पैंतरों का भरपूर इस्तेमाल हुआ ………..रसिकलाल जी बड़े हीं सानदार अंदाज में चुनाव जीतने में कामयाब हुये।
कुछ हीं दिनों बाद सुपर्णा देवी को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया गया ……….सुपर्णा देवी के लिए रसिकलाल ने जमीन आसमान एक कर दिया था………..करें भी क्यों न उन्हीं के विशेष कृपा के सहारे शबाब पेश कर शिष्टमंडल को खुश किया गया था तभी जाकर कहीं टिकट का प्रबंध सो सका था जितने के बाद भी सुपर्णा देवी की विशेष कृपा रसिकलाल पे बनी रही……….वह पूरा दिन नारी उत्थान, नारी सशक्तिकरण की बातें करता और रात को उनकी विशेष कृपा से किसी न किसी अबला के अस्मत को तार तार करता।
आज महिला दिवस के अवसर पर रसिकलाल जी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गये थे………..मंच पर फूल मालाओं से उनका स्वागत किया गया, मंच संचालक ने उन्हें एक धर्मात्मा नेता, गरीबों का मसीहा, नारीयों के प्रति अगाध श्रद्धा भाव रखने वाला, उनको समाज में विशेष स्थान, विशेष सम्मान दिलाने को कृतसंकल्पित एक महान नेता बताया……..
उसी सभा में बैठी एक ऐसी युवती जो पिछले कई महीनों से इस राक्षस के कुचक्र में फसी अपना सर्वश्व लुटा चुकी थी लगातार यवन शोषण का सीकर हो रही थी, केवल शारीरीक ही नहीं अपितु मांसिक व आत्मिक तौर पे इस कुपात्र ने उस अबला का शोषण किया था अबतक और अब भी यह उसके चंगुल से मुक्त न हो पाई थी ……..मन ही मन में समाज के आंखों पर चढे अदूरदर्शिता के काले मोटे शीशे वाले चश्मे पर खिलखिला रही थी जैसे वह समाज का खिल्ली उड़ा रही हो …………बताना चाह रही हो तुम सब आंख वाले अंधे हो जिसे उतना ही दिखता है जितना उसे दिखाया जाता है………..सब को बताना चाहती हो अपने आंखों पर बंधे अंधभक्ति की मोटी पट्टी को खोलो तब जाकर तुम्हे पता चलेगा इस राक्षस की असल प्रभुताई।।।
**********************
©® पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
.८/३/२०१८