रक्त संबंध
रक्त संबंध।
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कर्मवीर सिंह एकटा सम्पन्न किसान रहे।उनका एकटा बेटा प्रताप सिंह रहे। वही गांव सोनबरसा में एकटा सम्पन्न किसान रामबालक महतो रहे। रामबालक महतो के एकटा बेटी वसुन्धरा आ एकटा बेटा मनोहर रहे।
प्रताप सिंह आ वसुंधरा साथे-साथे गांव के मिडिल स्कूल में पढ़े। प्रताप सिंह आ वसुंधरा पढे में तेज रहे। आठवां तक कभी प्रताप फस्ट करे त वसुंधरा सेकेंड आ वसुंधरा फस्ट करे त प्रताप सेकेंड। मनोहर के पढे में मन न लागे।
बाद में दूनू गोरे अपन नाम भुतही हायर सेकेण्डरी स्कूल में लिखलैक। जहां से दूनू गोरे फस्ट डिविजन से
इण्टर विज्ञान कैलक।दूनू गोरे में प्रेम बीज भी अंकुरित होयत रहे। मनोहर अपन खेती बारी के काम करे।
अब प्रताप आ वसुंधरा बीए आनर्स में नाम लंगट सिंह कालेज मुजफ्फरपुर में लिखैलक। प्रताप जहां बायज हास्टल में रहे, वहीं वसुंधरा गर्ल हास्टल में।
दूनू गोरे मन लगा के पढे। कालेज के कैंटिन आ पुस्तकालय में दूनू गोरे मिलत रहे। पढ़ाई के साथ प्रेम भी परवान चढैत रहे।
बीए आनर्स में भी प्रताप आ वसुंधरा प्रथम आयल।दूनू गोरे बीपीएससी के तैयारी करे लागल। समय के साथ दूनू गोरे बीपीएससी कम्पीट कर के आफीसर्स बन गेल। प्रताप डीएसपी आ वसुंधरा बीडीओ बनल।
अब दूनू गोरे बिआह के बारे में बात करे लागल। प्रताप अपन पिता जी के वसुंधरा से प्रेम के बारे में बतबैत शादी करे के इच्छा बतैलक।
कर्मवीर सिंह कहलन-अब तू डीएसपी बन गेला हैय। जमाना बदल गेल हैय। कानून तोरा पक्ष में हौअ।भला हम रोकेवाला कै होय छी।परंच वसुंधरा भले तोरा प्रेम करे छौ।विआह करे के लेल तैयार हौअ। परंच वसुंधरा के बाबू जी के की राय हैय।इहो बात जाने के हैय।
वसुंधरा अपना बाबू जी से कहलक-बाबू जी। हम आ प्रताप एक दोसर के प्रेम करै छी।हम दूनू गोरे विआह करै चाहे छी।
रामबालक महतो बोललन-बसुंधरा तू हमर इकलौती दुलारी बेटी छा।आ तू बीडीओ भी छा।कानून भी साथ होअ।तोहर शादी में हमर कोई विरोध न हौअ।
बसुंधरा सब बात प्रताप के बतैलक। प्रताप अपन माइ बाबू जी के बतैलन।
कर्मवीर सिंह कहलन-प्रताप विआह में कोई बाधा न हैय।
तैय समय पर प्रताप आ बसुंधरा के विआह हो गेल।
समय पर मनोहर के भी शादी हो गेल।
कुछ दिन बाद प्रताप आ वसुंधरा के एकटा बेटी लवली आ मनोहर के एकटा बेटा आंनद भेल।
समय बीतत गेल।
लवली आ आंनद आरडीएस कालेज से बीए आनर्स कैलक।दूनू के पढाइ के बीच प्रेम हो गेल।दूनू विआह करे के बात करे लागल।दूनू बिचार कर के फैसला लेलन कि दूनू गोरे विआह करब। भले हम रिशता में भाई-बहिन छी। परंच समाज हमारा सभ के भाई-बहिन न मानै हैय।
आनन्द बोलल-अइला कि हमर फुआ-फुफा दू जाति के हैय। फूफा सवर्ण हैय त फूआ अवर्ण। हम अवर्ण छी आ तू सवर्ण।हमर दूनू गोरे के विआह में कोई बाधा न हैय।परंच दूनू गोरे अपना माइ-बाबू जी से राय ले लूं।
मौका देख के रात मेंं लवली बोललक-बाबू जी हम आ आंनद एक दोसर के प्रेम करै छी आ विआह करै चाहे छी।
इ बात सून के प्रताप आ वसुंधरा माथा ठोके लागल। कुछ देर सोच के प्रताप बोललक-लवली इ विआह न हो सकै हैय।
लवली बोललक-कैला विवाह न हौतै।हम दूनू गोरे प्रेम करै छी।बालिग छी।
प्रताप बोललक-परंच आंनद तोहर ममेरा भाई हौअ।दूनू गोरे के रक्त संबंध हौअ।
लवली बोललक-समाज त अइ रक्त संबंध के न मानै छैय।
प्रताप बोललक-ज्या दा समाज के । परंच तोरा दूनू के रक्त संबंध हौअ।आ इ विआह वर्जित हैय।
इधर आनन्द भी रात में अपना बाबू जी के सभ बात बतैलन।
मनोहर महतो कहलन-लवली तोहर फुफेरी बहिन हौअ। तोरा दूनू के रक्त संबंध हौअ।इ विआह न हो सकै छैय।
आंनद कहलक-बाबू जी हम समाज के उपेक्षा के कारण अइ रक्त संबंध के बूझै से अंजान रहली हैय।
आंनद सभ बात मोबाइल से लवली के बतैलक।
लवली बोललक-हां। भैया। बाबू जी संबंध के गहराई से समझैलन हैय।कि जाति से न बल्कि रक्त संबंध से तू दूनू भाई-बहिन हौअ।
आंनद बोललक-हां। बहिन। हमरा तोरा के रक्त संबंध के जेना बहिन-भाई के प्रेम अटूट हैय।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।