कोरोना
खतरनाक मंजर है फैला
खतरे में नर नारी
खाली अब यह नहीं बीमारी।
कोविड मनु संहारी ।(1)
सुपरमैन शी वीमेन मानकर
घूमें जो अनमास्क सिकंदर।
फैलाकर भ्रमजाल जगत में
दुबके हैं अब घर के अंदर। (2)
कहते जो थे नही बीमारी
थे हर मर्यादा लाँघ रहे।
आँखों मे आंसू भरभरकर
अब वेंटिलेटर मांग रहे। (3)
टूटे सपनें बिखरे जीवन
सब जाने अनजाने
भ्रम फैलाकर की है हत्या
ले ली कितनी जानें। (4)
लहर बुरी है चेत भी जाओ
जो जीवित हैं उन्हें बचाओं
दो ग़ज़ दूरी मास्क जरूरी
जागो खुद भी और जगाओ। (5)
अनावश्यक न बाहर जाओ
गए यदि फिर बच के आओ
नही किसी से हाथ मिलाओ।
गर हो संभव टीका लगवाओ। (6)
मृत्युंजय कुमार
दिल्ली