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31 May 2018 · 1 min read

रक्खा हुआ है

रदीफ़- रक्खा हुआ है

बागबाँ सूख गया राह तकते दिलबर बेशक,
बंद किताबों में फूल तेरा दिया रक्खा हुआ है ।

तेरी ख़ातिर कि तू आएगा,भले देर सही
अँधेरी राहों में रौशन कर,जिया रक्खा हुआ है।

आईना देखते हैं तो यूँ लगता जैसे
तेरी तस्वीर को दर्पण में पिया रक्खा हुआ है।

आ ही जाओगे इक दिन तुम, ख्वाबों में सही
हमने सपनों को गुलशन सा महका रक्खा हुआ है।

चीर कर देख लो खुद चाहे मेरी जान-जिगर नीलम
दिल क्या नस नस में बस नाम तेरा लिखा रक्खा हुआ है।

नीलम शर्मा…..✍️

1 Like · 414 Views
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