ख़्बाब आंखों में बंद कर लेते - संदीप ठाकुर
अलविदा कह जाओगे जब दुनियां को...
" इस दशहरे १२/१०/२०२४ पर विशेष "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम् .... !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
बगल में कुर्सी और सामने चाय का प्याला
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वही हसरतें वही रंजिशे ना ही दर्द_ए_दिल में कोई कमी हुई
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
यूं तन्हाइयों को अपने अंदर समेटे रक्खा है मैंने,
A Picture Taken Long Ago!
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
*जाऍं यात्रा में कभी, रखें न्यूनतम पास (कुंडलिया)*