श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा भजन अरविंद भारद्वाज
एक एक ईट जोड़कर मजदूर घर बनाता है
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
......तु कोन है मेरे लिए....
आज हमारी बातें भले कानों में ना रेंगे !
वो गिर गया नज़र से, मगर बेखबर सा है।
मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*राम हमारे मन के अंदर, बसे हुए भगवान हैं (हिंदी गजल)*
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'