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16 Jan 2022 · 1 min read

रंग ~

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सुना है, देखा है, अक्सर उड़ जाते हैं,
रंग कपड़ों के, जब रखते हैं धूप में,
तपते हैं गर्मी में, मजबूर से सारा दिन,
सूखने की आस में, खोते हैं कुछ अपना,
अपने रंग, अपनी खूबसूरती को,
हर बार जब जब भिगोये जातें हैं,
नए होने का घमंड चूर कर देता है,
ये सूरज उन्हें रंगों से दूर कर देता है,
ठीक वैसे ही इंसान हो जाते हैं,
वक़्त की गर्मी सब उतार देती है,
उनका वो खूबसूरती और अकड़ का घमंड,
ज़िन्दगी के उनके वो सारे रंग,
नीरस हो जातें हैं, ना साथ कोई होता,
दोस्त, रिश्ते, परिवार, हर रंग फीका होता,
संभाल कर रखो उन ज़रूरी रंगों को,
जो वक़्त के साथ मिलकर,
रंगीन करतें हैं ज़िन्दगी को ।

◆◆©ऋषि सिंह “गूंज”

Language: Hindi
413 Views
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