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21 Mar 2024 · 1 min read

* रंग गुलाल अबीर *

** मुक्तक **
~~
खूब हवा में उड़ चले, रंग गुलाल अबीर।
होली मिलकर खेलते, सभी गरीब अमीर।
सभी गरीब अमीर, पर्व यह समरसता का।
आ जाता हर वर्ष, लिए पल भावुकता का।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, झूमते ऋतु फगवा में।
भर पिचकारी रंग, बहाते खूब हवा में।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
फागुन लेकर आ गया, होली का उन्माद।
कौन भूल पाता भला, सबको रहता याद।
सबको रहता याद, खूब मस्ती का उत्सव।
गाते सब मिल झूम, करें पंछी ज्यों कलरव।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, रंग सब लगते चुन चुन।
उत्सव सबसे मस्त, लिए आ जाता फागुन।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २१/०३/२०२४

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