रंग इश्क के
पल में हंसाता है पल में रुलाता है
है जाने कितने रंग इश्क में
हो जो भी उम्र जो भी ख्वाब किसी के
हर कोई दीवाना है इश्क में।।
न मिल पाए कभी महबूब से
तो निकल आते है आंसू इश्क में
लग जाए चोट कभी महबूब को
खुद को भी दर्द होता है इश्क में।।
इन्तज़ार और विरह का भी
अपना ही मजा है इश्क में
उसकी याद में न जाने कब
कट जाती है ये रात इश्क में।।
काली अंधेरी रातों में भी इंद्रधनुष
नज़र आते है हमें इश्क में
सर्दी गर्मी का भी कोई असर नहीं
उनपर, जो पड़ जाते है इश्क में।।
माना है दर्द अनेक इश्क में
लेकिन दिवाने खो जाते है इश्क में
सोच लो सावन के झूलों से भी
ज़्यादा, आनंद आता है इश्क में।।
कोई लैला मजनूं तो कोई
मीरा हो जाते है इश्क में
कोई अपने आशिक के तो
कोई प्रभु के हो जाते है इश्क में।।
किसी का दिल खो जाता है
कहीं दो दिल एक हो जाते है इश्क में
किस किस की बात करें हम
यहां तो सारा जहां डूबा है इश्क में।।
चांद, सितारे और ये आसमां
सब एक साथ मिल जाते है इश्क में
तूफान, बिजलियां और ज़लज़ले
भी कभी कभी आ जाते है इश्क में।।
है ये ऐसा जादू अनोखा
पराए भी अपने हो जाते है इश्क में
बहुत मज़ा आता है तब, जब
तेरे मेरे सपने, एक हो जाते है इश्क में।।