रंगो का त्योंहार
दिखे नहीं वो चाव अब, .रहा नहीं उत्साह !
तकते थे मिलकर सभी,जब फागुन कीराह !!
होली है नजदीक ही, बीत रहा है फाग !
आया नहीं विदेश से ,मेरा मगर सुहाग !!
पिया मिलन की आस मे, रात बीतती जाग !
बैठ रहा मुंडेर पर,…. ले संदेसा काग !!
छूटे ना अब रंग यह, छिले समूचे गाल !
महबूबा के हाथ का,ऐसा लगा गुलाल !!
सूखी होली खेलिए, मलिए सिर्फ गुलाल !
आगे वाला सामने , कर देगा खुद गाल !!
पिचकारी करने लगी,… सतरंगी बौछार !
मीत मुबारक हो तुम्हे, होली का त्यौहार !!
देता है सन्देश यह ,. होली का त्यौहार !
रंजिश मन से दूर कर,करें सभी से प्यार !!
करें प्रतिज्ञा एक हम,होली पर इस बार !
बूँद नीर की एक भी, करें नहीं बेकार !!
छोड पुरानी रंजिशें ,….काहे करे मलाल !
इक दूजे के गाल पर,.आओ मलें गुलाल !!
सच्चाई के सामने ,….गई बुराई हार !
यही सिखाता है हमें, होली का त्यौहार !!
सूना-सूना है बडा, …होली का त्योहार !
ओठों पे मुस्कान ले, आ भी जाओ यार !!
मेरा उनके गाल पर,ज्यों ही लगा गुलाल !
रिश्ते बिगड़े हो गए, पल मे पुन: बहाल ! !
रही हमेशा देश को, यही मित्र उम्मीद !
खेलें होली साथ मे, हरिया और हमीद !!
दिखी नहीं त्यौहार में, शक्लें कुछ इस बार !
थी जिनकी मुस्कान ही, पिचकारी की धार !!
रमेश शर्मा (मुंबई)