रंगों की बौछार पिया
फाल्गुन का त्यौहार पिया
रंगो की बौछार पिया
तुमसे कितना प्रेम पिया
कैसे करू इजहार पिया
मिलने की कोई आस नही
पिया जी मेरे पास नही
दूर जाने की तुमने ठानी ,
की सदा अपनी मनमानी
अबके जो तुम आये नही
फागुन संग मनाये नही
हम भी फिर न आएंगे
होली संग न मनाएंगे
करेंगे अपनी मनमानी
रखना ये तुम याद पिया
फागुन का त्यौहार पिया ,
रंगो की बौछार पिया,